Thriller Crime Story | 13वां फ्लोर | Mast Kahaniya

दिल्ली की पॉश कॉलोनी में बना एक हाईटेक अपार्टमेंट – ‘Skyline Heights’.
यहां कोई 13वां फ्लोर नहीं था… कम से कम कागज़ों पर। Thriller Crime Story

लेकिन हाल ही में लोगों ने 13वें फ्लोर से आवाज़ें सुननी शुरू की थीं।

“किसी औरत की चीख… और कांच टूटने की आवाज़…”
पर जब सिक्योरिटी गार्ड चेक करता – वहाँ कुछ भी नहीं होता।


🧑‍💼 इंट्री होती है: इंस्पेक्टर राघव की | Thriller Crime Story

राघव – तेज दिमाग वाला, लेकिन अपने तरीके से काम करने वाला इंस्पेक्टर

वो जानता था, ये कोई भूतिया मामला नहीं –
“जब भी कोई रहस्य डरावना लगे, समझो इंसान छुपा है पीछे…”

राघव ने अपार्टमेंट का CCTV खंगाला।
अजीब बात ये थी कि 12वें और 14वें फ्लोर के बीच का एरिया कैमरा skip कर रहा था।


🩸 गायब लड़की

एक 25 साल की लड़की सोनिया, जो 12वीं मंज़िल पर रहती थी, गायब हो गई थी।
उसके कमरे में खून के निशान थे, लेकिन दरवाज़ा अंदर से लॉक था।

सिर्फ एक चीज़ छोड़ी गई थी –
एक पुरानी चाबी, जिस पर लिखा था – 13F.


🕰️ राघव की खोजबीन… | Thriller Crime Story

राघव ने बिल्डिंग के ब्लूप्रिंट्स निकलवाए।
डिज़ाइन में कहीं भी 13वां फ्लोर नहीं था।
लेकिन एक पुराना इंजीनियर सामने आया –
“फ्लोर बना था, लेकिन आधा तैयार होने के बाद उसे सील कर दिया गया।”

क्यों?

“क्योंकि वहाँ एक मर्डर हुआ था…”


🔍 रहस्य और गहरा होता है…

राघव उस सील फ्लोर तक पहुँचा।
दरवाज़ा ज़ंग लगा था लेकिन चाबी फिट हो गई।

अंदर घुप्प अंधेरा था। एक कमरा था, जिसमें सोनिया का पर्स, एक टेप रिकॉर्डर, और ताज़ा खून के धब्बे थे।

टेप ऑन किया –
“मैंने उसे देखा है… वो आदमी जो छुपा है… वो हम सबको मार डालेगा…”


असली कातिल कौन? | Thriller Crime Story

सीसीटीवी फुटेज और रिकॉर्डिंग को जोड़ने के बाद पता चला –
सिक्योरिटी सुपरवाइज़र, जो 15 साल से वहाँ काम कर रहा था, वही असली कातिल था।

वो सील फ्लोर में गुप्त रास्तों से आता-जाता था, और लड़कियों को किडनैप करता था।
उसका मानना था कि 13वां फ्लोर उसके “अधूरे प्लान्स” का घर है।


🚔 अंतिम दृश्य:

राघव ने सुपरवाइज़र को 13वें फ्लोर पर ही गिरफ्तार किया।
औरतों की आवाज़ें अब नहीं आतीं।
लेकिन लोग आज भी लिफ्ट में 12 और 14 के बीच रुकने से डरते हैं


🧠 कहानी का संदेश: | Thriller Crime Story

रहस्य हमेशा डरावना नहीं होता, लेकिन जब इंसान उस रहस्य को बनाने लगे, तब वो असली डर बन जाता है।

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